देहरादून। केन्द्र की हर योजना को लागू करने में राज्य पूरा सहयोग कर रहा है। बिल्डरों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए केन्द्र सरकार ने रियल एस्टेट एक्ट लागू कर दिया गया है। उत्तराखंड ने भी अपने यहां यह एक्ट लागू कर दिया है। एक्ट के तहत बिल्डर के खिलाफ लोगों की शिकायत सुनने के लिए राज्य स्तर का रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण का गठन होना है। फिलहाल इस प्राधिकरण का गठन होने तक शासन ने उत्तराखंड आवास एंव नगर विकास प्राधिकरण (उडा) को यह जिम्मेदारी सौंपी है।
नियमावली हुई जारी
गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए 1 मई को रियल एस्टेट एक्ट लागू कर दिया है। उत्तराखंड ने भी इसे लागू कर दिया है। इस एक्ट को कड़ाई से लागू करने के लिए सरकार ने नियमावली भी जारी कर दी है। नई नियमावली के तहत उपभोक्ता राज्य स्तर पर बनने वाले रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण में बिल्डरों की शिकायत कर सकेंगे। इस प्राधिकरण में अध्यक्ष समेत तीन सदस्य होंगे, जिसके अध्यक्ष मुख्य सचिव स्तर के सेवानिवृत्त अधिकारी होंगे, जबकि सदस्य के रूप में जिला जज स्तर के रिटायर्ड न्यायिक अधिकारी होंगे।
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उडा को मिली जिम्मेदारी
यहां बता दें कि यदि प्राधिकरण के फैसले से कोई पक्ष संतुष्ट नहीं है तो वह फिर रियल एस्टेट ट्रिब्यूनल में याचिका दायर कर सकेगा। जहां 60 दिन में वाद का निपटारा किया जाना अनिवार्य किया गया है। इस प्राधिकरण में भी न्यायिक सेवा और प्रशासनिक सेवा के रिटायर्ड अधिकारी शामिल होंगे। इस बीच शासन ने राज्य प्राधिकरण के बनने तक उत्तराखंड आवास एंव नगर विकास प्राधिकरण (उडा) को यह जिम्मेदारी सौंपी है।
ये हैं खास बातें
-पांच सौ वर्ग मीटर और आठ अपार्टमेंट से अधिक की सभी परियोजनाओं का नियामक प्राधिकरण में पंजीकरण अनिवार्य किया गया।
-ग्राहक से वसूली गई 70 फीसदी धनराशि को अलग बैंक में रखा जाएगा, इसका इस्तेमाल सिर्फ निर्माण कार्य में ही होगा।
-प्राधिकरण में रजिस्ट्रेशन के समय बिल्डर को प्रोजेक्ट ले आउट, स्वीकृति, ठेकेदार, प्रोजेक्ट शुरू करने और पूरा करने की समय सीमा के साथ ही खरीददारों का पूरा विवरण देना होगा।
-यदि बिल्डर तय समय सीमा के अंदर निर्माण पूरा नहीं कर पाता है तो उसे ग्राहक को चुकाई गई रकम पर ब्याज देना होगा। ब्याज की गणना बिल्डर द्वारा ग्राहक से भुगतान में हुई देरी के बदले वसूले जाने वाले जुर्माना की दर से होगी।
-प्राधिकरण के आदेश की अवहेलना करने पर बिल्डर को अधिकतम तीन वर्ष की सजा हो सकती है, साथ ही प्राधिकरण ग्राहक के नुकसान को आंकते हुए जुर्माना भी लगा सकता है।
-प्राधिकरण में सभी रियल एस्टेट एजेंट को भी पंजीकरण करवाना होगा। इसके लिए उन्हें 25 हजार रुपये की फीस चुकानी होगी। एजेंट को वायदा पूरा न निभाने पर एक साल की सजा हो सकती है।
-प्राधिकरण झूठी शिकायत करने वाले ग्राहकों को भी एक साल की सजा दे सकता है। ग्राहक को सभी सबूतों के साथ शपथपत्र देने होंगे।
मनमानी पर लगेगी रोक
गौरतलब है कि रियल एस्टेट क्षेत्र के बेतहाशा विस्तार के बावजूद अब तक इस क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिए देश में कोई प्रभावी कानून नहीं था। इस कारण ग्राहक फ्लैट की खरीद या प्री बुकिंग के बाद से ही बिल्डरों के रहमोकरम पर निर्भर रहता था। एडवांस बुकिंग करने वालों को भी समय पर मकान नहीं मिल पाता था। ऐसे में यह कानून बनने के बाद बिल्डरों की जिम्मेदारी से जुड़ी हर बात की शिकायत उपभोक्ता प्राधिकरण से कर सकेंगे।