देहरादून। बढ़ती गर्मी के साथ राज्य में पेयजल की किल्लत भी शुरू हो गई है। प्रदेश सरकार ने इस समस्या से निपटने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। पेयजल की बढ़ती समस्या से अब सिंचाई और पेयजल विभाग दोनों मिलकर इसका स्थाई समाधान ढूंढ़ने की कोशिश की जा रही है। इसके साथ ही पेयजल के श्रोतों को फिर से जागृत करने के लिए सिंचाई विभाग छोटे-छोटे डैम बनाएगी। पानी के बेजा इस्तेमाल को रोकने के लिए सरकार सभी घरों में पानी के मीटर लगाने की घोषणा कर चुकी है।
दिक्कत वाले इलाके से शुरू होगी योजना
गौरतलब है कि राज्य के पहाड़ी इलाकों में पेयजल की दिक्कत है। इलाके के लोगों को राहत देने के लिए टैंकरों से पानी पहुंचाया जाता है लेकिन इससे उनकी समस्याओं का निपटारा नहीं हो पाता है। अब सरकार के पेयजल और सिंचाई विभाग मिलकर इस समस्या का स्थाई समाधान निकालने में जुट गए हैं। सरकार की इस योजना की शुरुआत सबसे पहले उन इलाकों से की जाएगी जहां पानी की दिक्कत सबसे ज्यादा है। इसमें देहरादून, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चमोली, अल्मोड़ा जिले शामिल हैं।
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जल संस्थान कर रहा आपूर्ति
आपको बता दें कि सिंचाई विभाग पुराने श्रोतों और बारिश के पानी को रोकने के लिए छोटी झील और चैक डेम बनाएगा। गर्मी में इस पानी का इस्तेमाल पीने के लिए जल संस्थान करेगा। यहां बता दें कि सिंचाई विभाग की नहरों-ट्यूबवेल से पहले जल संस्थान लोगों को पानी की आपूर्ति कर रहा है।
इन श्रोतों पर योजना-
सिंचाई और पेयजल विभाग द्वारा ग्लोगी, सोरना, शांतिनगर सहसपुर, भोगपुर, कड़वापानी, सूर्याघाट, भीतरली, लोहाघाट कोहली ढेक, थरकोट पिथौरागढ़, गैरसैंण, कार्लीगाढ़ और रानीखेत गगास में पानी की योजना पर काम शुरू कर दिया गया है।
फाइलों में दबी योजना-
गौरतलब है कि सौंग बांध को देहरादून के पेयजल संकट के हल का सबसे बड़ा विकल्प माना जाता है। दशकों से इस योजना पर सिर्फ कागजों में ही काम हो रहा है। योजना के जमीन पर न उतरने के कारण इसकी लागत भी बढ़ती जा रही है। सौंग बांध योजना जो पहले 500 करोड़ की थी आज वह बढ़कर 700 करोड़ पहुंच गई है। जल संस्थान के अधिकारी की सिंचाई विभाग के साथ बैठक हो चुकी है। अगर यह योजना सफल होती है तो वाकई लोगों के लिए फायदेमंद होगी। दूसरी तरफ पानी के बेजा इस्तेमाल को रोकने के लिए सरकार प्रदेश के हर घर में पानी के मीटर लगाने की घोषणा की है।