नैनीताल। गंगा को जीवित इंसान का दर्जा देने के बाद पहली बार हाईकोर्ट ने उसे नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने ऋषिकेश में गंगा नदी के समीप ट्रैंचिंग ग्राउंड बनाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करने के बाद गंगा नदी, निदेशक नमामि गंगे और सचिव उत्तराखंड शासन को नोटिस जारी कर 8मई तक जवाब दाखिल करने को कहा है।
गंगा को नोटिस
गौरतलब है कि खदरी खड़क के ग्राम प्रधान स्वरूप सिंह पुंडीर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि 2015 में सरकार ने बिना ग्राम पंचायत की अनापत्ति प्रमाण पत्र के ऋषिकेश नगरपालिका को 10 एकड़ भूमि ट्रेंचिंग ग्राउंड के लिए हस्तांतरित कर दी। ग्राम प्रधान ने कहा कि जिस भूमि को टेंªचिंग ग्राउंड बनाने के लिए दिया गया उसके दोनों ओर गंगा नदी बहती है। ऐसे में वहां बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो गया है। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीके बिष्ट एवं न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद गंगा नदी एवं अन्य से जवाब मांगा है। आपको बता दें कि जीवित मानव का दर्जा मिलने के बाद गंगा नदी को हाईकोर्ट से पहला नोटिस जारी किया गया है। गंगा के ओर से नमामि गंगे के निदेशक व उत्तराखंड के मुख्य सचिव को जवाब देना होगा।
हल्द्वानी नगर निगम को नोटिस
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में बाईपास के पास भी मेडिकल वेस्ट फेंकने के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए नगर निगम को नोटिस जारी किया। बता दें कि हल्द्वानी में जन विकास समिति इंदिरा नगर ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नगर निगम हल्द्वानी द्वारा शहर का सारा कूड़ा व मेडिकल वेस्ट इंदिरा नगर बाईपास पर फेंका जा रहा है। इससे वहाँ पर रह रहे लोगों की गंदगी से जीना मुहाल हो गया है। गंदगी के कारण बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है। इसकी शिकायत नगर निगम व प्रशासन से की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नही हुई।
कूड़ा निस्तारण का फैसला 3 मई को
याचिकर्ता का यह भी कहना था कि कोर्ट ने पहले दिए अपने आदेश में हल्द्वानी शहर का कूड़ा निस्तारण करने के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने के आदेश दिये थे। कोर्ट के आदेश का अभी तक पालन नहीं किया गया है। पूरे शहर का कूड़ा नगर निगम की ओर से यहां फेंका जा रहा है। अब कोर्ट में न्यायमूर्ति वी के बिष्ठ व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने इस मामले को सुनने के बाद नगर निगम को नोटिस जारी कर अगली तारीख 3 मई तय की है।