तेलंगाना । भारत में महिला सशक्तिकरण के दौर के बीच तेलंगाना से एक अजीबो गरीब खबर ने लोगों को चौंका दिया है। असल में तेलंगाना सरकार ने निर्देश दिए हैं कि समाज कल्याण आवासीय डिग्री कॉलेजों में सिर्फ कुंवारी लड़कियों को ही दाखिला दिया जाएगा। किसी भी विवाहित युवती को कॉलेजों में प्रवेश न दिया जाए। इसके पीछ सरकार ने तर्क दिया है कि विवाहित युवतियों को देखकर कुंवारी लड़कियां आकर्षित होती हैं। इसके चलते लड़कियों की पढ़ाई प्रभावित होती है और उनमें भटकाव आया है। वहीं इस निर्देश को कुछ समाजसेवी संगठनों ने वापस लेने की मांग की है।
अधिसूचना के जरिए निर्देश जारी
तेलंगाना सरकार ने इससे संबंधित एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें इससे जुड़ा निर्देश दिया गया है। सरकार ने समाज कल्याण आवासीय डिग्री कॉलेजों के बीए, बी कॉम, बीएससी की पढ़ाई कराने वाले कॉलेजों के लिए यह निर्देश जारी किए हैं। जानकारी के अनुसार ऐसे 23 कॉलेजों के चार हजार सीटों पर दाखिला लेने के लिए यह नियम लागू किया गया है। इन सभी कॉलेजों में छात्राओं को सभी चीजें मुफ्त दी जाती हैं।
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एक साल से लागू है नियम
एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इस तरह के नियम तेलंगाना में पिछले साल से लागू हैं। सामने आया है कि इन आवासीय कॉलेजों में 75 प्रतिशत सीटें एससी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, जबकि शेष सीटें एसटी, ओबीसी और सामान्य वर्ग के छात्रों कें लिए हैं। इन कॉलेजों में पढ़ने वाली सभी छात्राओं को खाने पीने के साथ अन्य सभी सुविधाएं मुफ्त दी जाती हैं। हाल में करीब चार हजार विवाहित छात्राएं इन कॉलेजों में पढ़ रही हैं जो अपने कोर्स आगे जारी रखना चाहती हैं लेकिन यह नियम अब आड़े आएगा।
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पति भी आते हैं कॉलेजों में
इस पूरे मामले में तेलंगाना सोशल वेलफेयर रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स सोसायटी के कंटेंट मैनेजर बी राजू का कहना है कि अमूमन विवाहिताओं के साथ अनके पति भी कई बार कॉलेजों में आते हैं। इसके साथ ही विवाहित युवतियों को देखने के बाद यहां पढ़ने वाली कुंवारी कन्याओं का पढ़ाई के प्रति ध्यान भटकता है। इस स्थिति से निपटने के लिए यह निर्देश जारी किए गए हैं।
बाल विवाह को रोकना मकसद
वहीं इस मामले में इस सोसायटी के सचिव आरएस प्रवीन बोले- राज्य में इस तर तरह के आवासीय कॉलेजों को स्थापित किए जाने का मकसद असल में बाल विवाह को रोकना है। यही कारण है कि इन कॉलेजों में हम विवाहित युवतियों के प्रवेश को लेकर नए नियम बना रहे हैं।