नई दिल्ली। अगर अभी तक आप अपनी बोलचाल और लिखने के दौरान जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे अब सावधान हो जाएं। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों को लिखित आदेश दिए हैं कि अब सरकारी स्तर पर या कहीं भी दलित शब्द का प्रयोग वर्जित होगा। इतना ही नहीं सरकारी दस्तावेजों और पत्रावली में भी दलित शब्द का प्रयोग करने पर रोक लगा दी गई है। बता दें कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 21 जनवरी को दिए आदेश में सरकारी दस्तावेजों और अन्य जगहों पर दलित शब्द के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई थी।
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गौरतलब है कि अब केन्द्र ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों को दलित शब्द का प्रयोग रोकने के लिखित निर्देश दिए हैं। नए आदेश के अनुसार अब किसी भी अनुसूचित जाति के व्यक्ति के आगे उनकी जाति का नाम लिखा जाना अनिवार्य होगा। बता दें कि इससे पहले 10 फरवरी 1982 में नोटिफिकेशन जारी कर ‘हरिजन’ शब्द पर भी रोक लगाई गई थी। अब हरिजन बोलने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। हालांकि अभी इस बात का खुलासा नहीं हुआ है कि दलित शब्द का प्रयोग करते हुए पाए जाने पर कितनी सजा का प्रावधान रखा गया है।
आपको बता दें कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने प्रमुख सचिव को लिखे पत्र में स्पष्ट किया है कि दलित शब्द का उल्लेख संविधान में कहीं नहीं मिलता है। इससे पहले 1990 में इसी तरह का आदेश जारी हुआ था जिसमें सरकारी दस्तावेजों में अनुसूचित जाति के लोगों के लिए सिर्फ उनकी जाति लिखने के निर्देश दिए गए थे।