नई दिल्लीः विदेशी दौरों के जरिए भारत की एक नई तस्वीर गढ़ने में लगे भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी अब इजरायल जाएंगे। इजरायल का दौरा करने वाले वह भारत के पहले पीएम होंगे। खास बात यह है कि पीएम इस दौरान फलस्तीन नहीं जाएंगे। हालांकि फलस्तीन के प्रेसीडेंट के इस साल के अंत तक भारत आने की उम्मीद जताई जा रही है।
डोभाल पहले ही कर आए रिहर्सल
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी के दौरे से पहले वहां का रिहर्सल एनएसए और मोदी के सबसे भरोसे के साथी अजीत डोभाल कर आए हैं। डोभाल ने इजरायल के एनएसए से मुलाकात की और वहां के पीएम बेंजामिन नेतान्याहू से भी मिले। मोदी जुलाई में इजरायल जाएंगे। उनका फलस्तीन न जाना एक बड़ा फैसला माना जा रहा है, क्योंकि भारत की विदेश नीति इजरायल औऱ फलस्तीन दोनों को साथ लेकर चलती रही है। इस विजिट में केवल इजरायल के प्रति प्रेम प्रदर्शन को भारत की विदेश नीति में बदलाव के तौर पर भी देखा जा रहा है।
अब पर्दे में नहीं होंगे रिश्ते
इजरायल को दुनिया में सबसे आक्रामक एप्रोच वाले देशों में माना जाता है। इस विजिट को दोनों देशों के बीच रिश्तों की नई शुरुआत माना जा रहा है। अब तक भारत ने कभी भी इजरायल या फलस्तीन के साथ अपने रिश्तों को लेकर सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं किया है। पहली बार है कि भारतीय पीएम इजरायल के दौरे पर जाएंगे और पड़ोसी देश फलस्तीन नहीं जाएंगे। इसे भारत के इजरायल के साथ रिश्तों की एक नई शुरुआत माना जा रहा है। मोदी वहां इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतान्याहू से मिलेंगे। दूसरी तरफ फलस्तीन के एम्बेसडर अदनान अबु अलहाइजा के मुताबिक फलस्तीन के प्रेसीडेंट महमूद अब्बास इस साल भारत का दौरा कर सकते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अदनान अबु ने कहा है कि मोदी फलस्तीन नहीं जाएंगे, लेकिन इंशाअल्लाह, हमारे प्रेसीडेंट इस साल भारत आएंगे।
हथियारों का बड़ा सौदागर है इजरायल
भारत के इजरायल के साथ कूटनीतिक रिश्ते नए नहीं हैं। करीब 25 साल पहले इस रिश्ते का शुरुआत हुई थी। इजरायल को हथियारों का बड़ा सौदागर माना जाता है और वह पिछले करीब 10 साल में भारत की डिफेंस डील्स में 7% हिस्सेदारी हासिल कर चुका है। हाल ही में मोदी सरकार ने इजरायल से एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने के 17 हजार करोड़ रुपए की डील को मंजूरी दी है। इजरायल भारत को लेटेस्ट डिफेंस टेक्नालॉजी देने में भी दिलचस्पी रखता है।