नई दिल्ली । कानून मंत्री किरण रिजिजू को उनके पद से हटाते हुए अब पृथ्वी विज्ञान मंत्री बनाया गया है । जबकि उनकी जगह अब पीएम मोदी के करीबी और संस्कृति मंत्रालय समेत संसदीय मामलों के मंत्रालय में राज्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे अर्जुनराम मेघवाल को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है । इस चौंकाने वाले बदलाव की घोषणा राष्ट्रपति भवन के एक बयान द्वारा की गई ।
रिजिजू को हटाने के पीछे पीएम नरेंद्र मोदी की नाराजगी बताई जा रही है । कहा जा रहा है कि पिछले दिनों कानून मंत्री रहे किरण रिजिजू और सुप्रीम कोर्ट के बीच जिस तरह कई मुद्दों पर मीडिया में बयानबाजी हुई , उससे केंद्रीय नेतृत्व नाराज था । हालांकि इसके पीछे का कारण जानकारी राजस्थान विधानसभा चुनावों को भी बता रहे हैं ।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रधानमंत्री की सलाह के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिपरिषद में मंत्रियों के बीच निम्नलिखित विभागों के पुनर्आवंटन का निर्देश दिया है...
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का पोर्टफोलियो किरेन रिजिजू को सौंपा जाए । - अर्जुनराम मेघवाल, राज्य मंत्री को किरेन रिजिजू के स्थान पर उनके मौजूदा विभागों के अलावा कानून और न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में स्वतंत्र प्रभार सौंपा जाए ।
विदित हो कि रिजिजू ने 8 जुलाई, 2021 को कानून और न्याय मंत्री के रूप में पदभार संभाला था । इससे पहले, उन्होंने मई 2019 से जुलाई 2021 तक युवा मामले और खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में कार्य किया । अर्जुनराम मेघवाल की बात करें तो वह राजस्थान के बीकानेर के सांसद हैं। वह भाजपा के बड़े दलित चेहरों में से एक हैं ।
वहीं , रिजिजू को कानून मंत्री के पद से हटाए जाने के बाद विपक्ष ने प्रतिक्रिया दी है । शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए और बिना किसी का नाम लिए कहा, क्या यह महाराष्ट्र पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की शर्मिंदगी के कारण हुआ है? वहीं, कांग्रेस की अलका लांबा ने कहा, केंद्र सरकार ने अपनी छवि बचाने के लिए रिजिजू को हटा दिया । उन्होंने ट्वीट किया, पिछले कुछ समय से कानून मंत्री के तौर किरेन रिजिजू द्वारा जजों की नियुक्ति और अदालतों के काम करने के तौर तरीकों को लेकर की जा रही टिप्पणियों और हस्तक्षेप ने मोदी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थीं । सरकार ने अपनी छवि बचाने के लिए उन्हें पद से हटा दिया ।
इससे इतर राजनीति के जानकारों का कहना है कि सरकार के इस फैसले के पीछे राजस्थान विधानसभा चुनाव भी हो सकता है । अर्जुन राम मेघवाल साल 2009 से बीकानेर के सांसद हैं और आईएएस अधिकारी भी रह चुके हैं । इसके साथ ही मेघवाल राजस्थान में अनुसूचित जाति (SC) से आते हैं । राजस्थान में एससी की जनसंख्या 18 फीसदी के आसपास है और कई सीटों पर ये आबादी हार-जीत तय करती है ।
बता दें कि राजस्थान में इस समय 59 जातियां एससी के दायरे में रखी गई हैं । आंकड़ों की मानें तो एससी की आबादी इस समय किसी भी जाति की तुलना में सबसे ज्यादा है जो कि 1.2 करोड़ के आसपास है. वहीं अगर राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में 34 पर इस जाति के लिए सीटें रिजर्व की गई हैं ।