नई दिल्ली । दिल्ली में एक बार फिर से बिजली उपभोक्ताओं को ''करंट'' लग सकता है । असल में दिल्ली में बिजली के दामों में 8 से 10 फीसदी तक की वृद्धि हो सकती है । दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (DERC) डीईआरसी ने पावर परचेज एग्रीमंट पर दर बढ़ाने को स्वीकृति दी है । इस पर अब दिल्ली सरकार अंतिम फैसला लेगी । अगर इसे मंजूरी दी जाती है तो करीब 10 फीसदी तक बिजली की दरों में इजाफा होगा । दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (DERC) की ओर से बिजली की दरों में बढ़ोतरी को लेकर दिल्ली सरकार का बयान सामने आया है । इसमें कहा गया है कि 200 यूनिट तक का इस्तेमाल करने वाले उभोक्ता इससे अछूते रहेंगे । बढ़ी हुई कीमतें 1 जुलाई से लागू होंगी ।
दिल्ली सरकार ने कहा है कि इस बढ़ोतरी से उपभोक्ताओं पर सीधा असर नहीं पड़ेगा लेकिन 200 यूनिट से ऊपर बिजली खर्च होने के बाद बढ़ा हुआ चार्ज देना पड़ेगा । दिल्ली की ऊर्जा मंत्री आतिश सिंह ने कहा कि 200 यूनिट तक बिल वाले उपभोक्ताओं पर इसका असर नहीं पड़ेगा , जबकि 200 यूनिट से ज्यादा वाले उपभोक्ताओं पर इसका भार पड़ेगा । उन्होंने कहा कि दिल्ली में बिजली की कीमतें केंद्र की मोदी सरकार के चलते बढ़ी हैं । केंद्र की नीतियों के चलते देश में कोयले के दाम बढ़ गए हैं । वहीं देश में कोयले की कमी है । ऐसे में कंपनियों को 10 फीसदी महंगा विदेशी कोयला खरीदना पड़ रहा है । अब केंद्र सरकार बताए कि देश में कोयले की कमी कैसे हुई ।
इस सबसे इतर , केजरीवाल सरकार का कहना है कि इस बढ़ोतरी से उपभोक्ताओं पर सीधा असर नहीं पड़ेगा । दिल्ली सरकार का कहना है कि पावर परचेज एग्रीमेंट के तहत बिजली की कीमतें घटती-बढ़ती रहती हैं । ठंड में बिजली सस्ती हो जाती है, जबकि गर्मियों में कीमत थोड़ी बढ़ जाती है । हर तिमाही समीक्षा में पावर परचेज एग्रीमेंट के तहत कीमतों में मामूली बढ़ोतरी या घटोत्तरी होती है । दिल्ली सरकार ने अपने बयान में कहा कि हर तिमाही में समीक्षा के दौरान कीमतें घटाई और बढ़ाई जाती हैं । इस बढ़ोतरी का ग्राहकों पर सीधा असर नहीं पड़ेगा । यह एक सामान्य तिमाही समीक्षा प्रक्रिया है । इनके दाम कोयले और गैस की कीमतों पर निर्भर करते हैं । दरअसल, रिलायंस एनर्जी की कंपनी बॉम्बे सबअर्बन इलेक्ट्रिक सप्लाई ने दिल्ली में बिजली की खरीद को लेकर डीईआरसी के सामने अर्जी लगाई थी ।
बताया जा रहा है कि बिजली की कीमतों के इस नए टैरिफ के पीछे बड़ा कारण सौर ऊर्जा है > सौर ऊर्जा से ही बिजली का उत्पादन होता है , इसलिए बिजली कंपनियां सौर ऊर्जा से बिजली की खरीद कर आपूर्ति करेंगी । इससे पहले भी जब पॉवर परचेज एग्रीमेंट की दर बढ़ी है तो दिल्ली सरकार ने इसका खर्च बिजली कंपनियों को खुद ही उठाने को कहा था और लोगों के बिलों में कोई अंतर नहीं आया ।